ाएका कविने प3ाचिन काळि अशि ओळ देउन तेथे जमलेल्. लोकांना समस्.ापुर्तिचे आवाहन केले
समस्.ापुर्तिसाठि ओळ-ठठम् ठठम् ठम् ठठठम् ठठम् ठा
कविता अशि होति(रुपांतर)
नदिवरुनि भरुनि आणण्.ा पाणि
कळशि कमरेवरि घेउनि निघालि गृहिणि
जिन्.ांत पाउल टाकताच निसटलि कळशि
गडगडत जाताना कळशिचा आवाज आला मोठा
ठठम् ठठम् ठं ठठठं ठठम् ठा
ट
टम् ठठम्.
समव
स
सि
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